ये बस लाल रंग नहीं;
राजस्वला होने का ढंग नहीं।
ये लाल रक्त है;
जागरुक होने का वक़्त है।
फैला फिर क्यूं इतना भरम;
खुल के बोलने में कैसा शरम?
हर महीने खून की होली होती है;
नारी फिर भी कभी नहीं रोती है।
ये प्रकृति का वरदान है;
जननी होने का विधान है।
तमाम दर्द को सालती;
कोई काम ना टालती;
मानवता को पालती;
विजय के झंडे गाड़ती।
मां, माटी, मानुस महान है;
जब तक नारी का सम्मान है।


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Awesome ???
Baat dil tak pahunchi ekdum!?
Fabulous ?
Nice ?
Nailed
? ?
This is not something gross that we every month go through…this is being treated like a gross thing but we haven’t build this on our system…so deal with it !