याद आते हैं वो पल
जब साथ टिफ़िन शेयर किया करते थे
और टीचर्स से छुपकर एग्जाम में
चीट्स भी पास कर लिया करते थे ।
बोरिंग क्लासेज हो तो
मिलके बंक मारा करते थे
और वाशरूम में साथ जाकर
वहाँ घंटों बिताया करते थे ।
याद आते हैं वो पल
जब लेट हो जाने पर
गेट के बहार हो जाया करते थे
और मॉर्निंग में टीचर्स को
“गुड मॉर्निंग टीचर्स” गाके सुनाया करते थे ।
याद आते हैं वो पल
जब पेन फाइट में
हार जीत बड़ी माइने रखा करती थी
और फ्री पीरियड्स में
चॉक बॉल और डस्टर
बैट बन जाया करती थी ।
याद आते हैं वो पल
जब कैन्टीन के समोसे
और रामु चाचा के चाट
हमारे भूक को मिटने के लिए
काफी हुआ करती थी
तो पांच रुपये की आइसक्रीम से झगड़ा
दोस्ती में बदल जाया करती थी ।
याद आते हैं वो पल
जब अपने बेस्ट फ्रेंड् के लिए सीट्स बच|
के रखा करते थे और
अपनी स्कूल का वो पहला प्यार
को देखके मन ही मन मुस्कुराया करते थे ।
याद आते हैं वो पल
जब होम्वर्क न करके आने पर
कौजिन्स की शादी का बहाना बनाया करते थे
और बैग् हैवी न हो इसिलिए
मैथ बुक शेयर किया करते थे ।
याद आते हैं वो पल जब
स्कूल के प्रोजेक्ट्स मिलकर किया करते थे
और प्रैक्टिकल्स तो बस नाम के !
कंप्यूटर लैब्स में घंटों बातें किया करते थे ।
याद आते हैं वो पल जब
अगर कोई पानी भरने जाए तो
सब उसको बोतल पकड़ाया करते थे और
अपने पानी भरने के बहाने
बॉयफ्रैंड्स /गिर्ल्फ्रेंड्स को छूप्छुप् के मिला करते थे ।
याद आते हैं वो पल जब
रिसेस के पहले टिफ़िन ख़तम हो जाया करती थी और
दस मिनट तोह ग्राउंड में खेलना बनती ही थी ।
याद आते हैं वो पल जब
पूरी क्लॉस मिलकर
अच्छे -बुरे सारे टीचर्स की नकल उतरा करते थे और
“प्रिंसिपल सर्” को करिदोर में देखते ही
‘ इमरजेंसी ‘ चिल्लाया करते थे ।
याद आते हैं वो पल जब
एज़म्स में थोड़ी सी जल्दी पहुंचकर
बेन्च पर हिंट्स लिखा करते थे और
वाईवा में एक दूसरे को इषारों ही इषारों में
अंसरस बता दिया करते थे ।
याद आते हैं वो पल जब
बर्थडेज़ पर गिफ्ट्स से ज्यादा
‘बर्थडे-बॉम्ब्स’ मिला करती थी और
सबको ट्रीट खिलाते – खिलाते
पॉकेट मनी ख़तम हो जाया करती थी ।
याद आते हैं वो पल जब
कागज के पटाखे बनाया करते थे और
बारिश के मौसम में क्लासरूम के बहार
कागज के बोट्स बनाकर खेला करते थे ।
याद आते हैं वो पल जब
दिवाली होली सब एक दिन पहले से ही
मना लीया करते थे और
फ्रेंडशिप डे हो या वैलेन्टाइन्स बैंड्स,
गिफ्ट्स खरीदकर महीनो से बचाया हुआ
पॉकेट मनी ख़तम किया करते थे ।
याद आते हैं वो पल जब
अपने दोस्त के ब्रेक -अप पर
हम उससे भी ज्यादा रो दिया करते थे और
ग्रुप स्टडी के नाम पर
मयागि और मोमोस के मज़े उठाया करते थे ।
याद आते हैं वो पल जब
स्कूल – पिकनिक के दो महीने पहले से ही
प्लानिंग शुरू किया कर लेते थे और
जाते समय बस में धूम मचाया करते थे ।
याद आते हैं वो पल जब
फेयरवेल की दिन थी!
सज -धज के गए तोह सब थे पर
दिल में एक अजीब सी उदासी थी ।
पता था..पता था की
ये पल अब दुबारा नहीं आएगा
फिर शर्ट पे वह सब के लिखे हुए विशेष देखकर आँखें भर आयी थी !
पहली बार ..पहली बार
प्रिंसिपल की स्पीच को गौर से सुना था
हमेशा टच में रहेंगे ये वादा सभी ने है किया था !
फिर आया कॉलेज !
और फिर लग गयी नौकरी ….
शादी भी कर्ली सबने पर दुबारा मिल न पाया कोई !
पर अब भी याद आते हैं वो पल
वो दिन वो जगह जहाँ पहली बार गए
सब रोते हुए थे
पर आये भी रूट हुए ही थे
जहाँ लाइफ की वो पहली सीख और
टीचर्स की वह आखरी सलाह मिली थी
जहाँ हम सबने एक आखरी बार
अपनी ज़िन्दगी सही माईनो में जियी थी!


This is sooooo soo good…nostalgic feeling…Deviii…you rocked again..
No words to express ??
So true! Beautifully written!
It is a very emotional poem , where you have shared your personal feelings very sensitively but perhaps your experiences have a universal impact.
Excellent… Devi…. You are doing great???…. Loads of love my box of talent