जो पहनूं मैं कुर्ता तो आकार देखोगे। जो स्कर्ट पहन के निकलूं तो संसार देखोगे। जो बाल खुले हों मेरे, तो स्वागत का तिरस्कार देखोगे। साड़ी पहन के निकलूं तो मेरी कमर रूपी कटार देखोगे। तो चलो अब तुम ही बताओ, क्या भेष धरूं मैं जिससे, तुम मुझे बार बार तो सही,मगर सत्कार से देखोगे।


जो मैं बोलूंगी तो बोलोगे के बोलती है। पर फिर भी,सुन..ए समाज..ज़रा पहले ये बतला दे, ये ज़िन्दगी जो मिली है मुझे ये मेरी ही है, या हिस्सा और हक तेरा भी कुछ है इसमें। उपजी हूं अभी अभी, संभाल जाऊंगी वक़्त रहते, इतना जाता दे के तन मेरा ही है ना, या भाग तेरा भी है इसमें।कुछ बोल ना दूं मैं ऐसा वैसा, पहले ये बतला दे, की ज़ुबान मेरी है तो शब्द भी मेरे ही होंगे शायद, या फिर भी वाकिलाती का हक तेरा भी कुछ है इसमें।जो ज़िन्दगी मेरी हुई है, तो मेरे रास्ते भी मैं ही चुनूंगी, या फिर सतर्क हो जाऊं मैं की, उंगली करने का हक कुछ तेरा भी है इसमें।


बाहर अगर जाऊं तो, रात को जल्दी आना हो। जो कुर्ती पहन के जाऊं तो, ऊपर कुछ डालना हो। जो देरी से घर आऊं तो, सुनना कोई ताना हो। जो ज़ुल्फें बिखराऊं तो, न्योता कोई दे जाना हो। जो सपने मैं देखूं तो, लड़की होना मेरा; मुझे ही जताना हो। सपने पूरे कर गई तो, शादी का वकालतनामा हो। और अगर गलती से शॉर्ट्स पहन ली मैंने, तो..तौबा..तौबा..फिर तो समझो मुसीबत को ही घर बुलाना हो।
समझ नहीं आते यह समाज के उसूल मुझे, जो लड़का ही तो सर चढ़ाना, और लड़की हो तो नियमों तले दबाना हो। कितने बेगैरत होंगे वो हाथ, जो आज भी दबा देते हैं किसी बेटी का गला,और कितना ना खोलखला होगा वो समाज जो पहना दे किसी लड़की के हाथों में कड़ा। जो जन्म ले वो किसी पिछड़े समाज में, तो ज़िन्दगी मानो जहन्नुम सी होती होगी। क्या बताऊं मैं तुमको ए मेरे शब्द पढ़ने वालों,ना जाने कितने ना आंसू वो रोज़ रोती होगी।ये तो चलो किसी पिछड़े समाज की बातें कर ली मैंने, अब कुछ इस नए दौर का भी कहा जाए..। जो इजाज़त और इज्ज़त बक्षी है,उसके भी गुण- एहसान माने जाएं।
ये ना समझना तुम लड़की, के तुमको आज़ादी नहीं दी हमने। शॉर्ट्स तो पहनती हो, जुल्फें भी बिखराती हो, मेकअप- शेकप करती हो, सीमा बाहर इठलाती हो, नज़ाकत से तुम अपनी किसी के मन को भी भा जाती हो, जो नशीली आंखो से तुम कतल कई कर जाती हो, छोटे कपडे पहन के तुम क्लीवेज अपनी दिखती हो, इतने ज़ुर्म करती हो और सजा भी खुद ही पाती हो। जो छूट दी तुमको, तो तुम हद से ज़्यादा कर जाती हो। और फिर तुम, आखिरकार समाज को गलत बताती हो। गंगाजल के छींटों से पवित्र हो जाती हो। या फिर कभी, अग्निपरीक्षा दे कर के मर जाती हो।कुछ जो तुमने कपड़े पहने, और जो बाल बिखेरे थे,वहीं कुछ नज़ाकतें जो तुम्हारी,ज़िन्दगी के अंधेरे थे। उस रात को कालिक फिर तुम्हारे,आंचल के धब्बे बं जाएगी उसी रात के तारों कि छाया के नीचे तू जल जाएगी।


तुम्हारी मासूमियत एक पल में उन्हें खल जाएगी। दरिंदों को साया तुम पर तेंहजाब बन कर ढल जायेगा। और एक बार फिर,किसी औरत का अस्तित्व उछल जायेगा..।
चलो गा लिए आज़ादी के गाने बोहोत, अब कुछ वास्तविकता के गीत भी गुनगुनाए जाएं। अब जो लड़की को पाला है नाज़ों से, उसके हाथ पीले कर डाली में बैठाया जाए। उम्र बढ़ती जा रही है, लोग क्या कहेंगे आखिर। सपनो को छोड़ो साहब, हक़ीक़त को गले लगाया जाए। क्या देगी वो नौकरी तुम्हे आखिर भाई? पति के पैरों को धो पानी पिया जाए। चलो ले दे के हो गए सात फेरे अब, तो खुशी खुशी बेटी को बिदा कर दिया जाए।
पर सुनो,एक बात बताओ मुझे ज़रा, कि..बिदा तो किया बेटी को, रौंद भी दिया सपनो को, आग लगाई ज़िन्दगी को उसके, लेकिन..रोए ना वो खून के आंसू, ज़िम्मेदारी ये किसके कंधों को..?


एक आस अब भी बाकी है उसमें,एक लौ अब भी जागी है उसमें, थोड़ी सी हवा दो चिंगारी को उसके, एक कठपुतली है वो, ज़िन्दगी थोड़ी बाकी है उसमें।
राहें वो चुने तो, हाथ ज़रा सा थामना। जो सांस वो लेना चाहे तो, बंधन में मत बांधना।जो तड़प उठे रूह उसकी तो, प्यार से उसको सामना। जो रोए वो फुट फुट कर तो, दिल को उसके संभालना। ना लादना हीरे जवाहरात से उसको चाहे। ना रानी तुम उसे करारना..।
ए मर्द, अगर मर्द हो सही मायने में तुम तो…उसे थोड़ी सी इज़्ज़त, और ज़रा से प्यार से नवाज़ना..।जो कर पाओ ऐसा सलूक तो ले जाना किसी बेटी को छीन के..।जो से पाओ अपनों सा प्यार और दुलार तो ले जाना किसी फूल को क्यारी से तोड़ के..।
और अगर, ना रख पाओ उसे नाजों से तुम..तो याद रखना, की कयामत के रोज़…वो खुदा भी तुम्हे,जगह अता करेगा तुम्हारी औकात देख के..।।


A 20 years old poet, writer and narrator by passion and pursuing B.A. LLB(H) now. One can easily go through her writings and find out her soul there. She writes her heart out through her pen.
The poem is stunning ??
Sadly all women have to face this kind of oppression ?
Being a woman in India is so damn hard. Great work!
God bless you Preranaa!
Read something refreshing after so long…