जश्न-ए-ज़िंदगी में तु हंस,
तु गा, कुछ नाम कमा ।
क्या सोचेंगी दुनिया, अब मत ले, ये बोझ ;
अपनी अस्तित्व, अपनी पहचान, को ले तू खोज।
है दूँगा, महाकाली तू।
है तू ही गंगा, कल्याणी तू।
अपनी कद्र कर, अपना मोल पहचान;
क़दमों में झुकेगी ये दुनिया, सलाम करेगा जहान।
है शक्ति बिन शिव भी शव,
माँ की ममता में दिखता है, दुनिया को रब।
है नारी महान,
जानते है सब।
खुल के पढ़, बढ़ के बोल,
ये दुनिया क्या लगा पाएगी कभी तेरा मोल?
ना रही तु बेचारी, नाहीं तू अबला,
चित्कार कर, हुंकार भर, दिखा तू है सबला।
आगे बढ़, ऊपर चढ़, जंग-ए-ज़िन्दगी का शंखनाद कर।
यालगार कर!! ख़ुद के दुश्मनों पे वार कर।
ख़ुद को कुप्रथाओं से आज़ाद कर,
जो हो ना सका ऐसा कोइ चमत्कार कर।
4.5
2
votes
Article Rating