तुझमे ऐसा खास क्या है
जो तेरे नाम से ही
मेरी चुप्पी उस मुस्कराहट में बदल जाती है
जिस से दिल में तेरी तस्वीर फिर उभर आती है|
तेरी बातें भी कुछ यूं याद आ जाती है
जो बिन मौसम बरसात की तराह बरस्ती है
उन यदोन की बून्द कुच ऐसी समाती है
जो दिल की गहराई मैं भी सैलाब सी ले आती है |
तेरी यादों से कुछ ऐसा नाता सा है
जो अंधेरों में भी मेरा साथ देते है
ज़िन्दगी से इंसान तो यूँ ही मिट गया
पर परछाई से बातें आज भी होती है |
उन लमहो में तेरी आवारगी सी समाई है
आज भी गुज़रती हुइ हवाएं तेरा दीदार कराती है
कुच पलोन को यूं ही अपने साथ ले जाती है
और कुछ को अपने से समेट लेता हूँ |
आज भी उन यादों का पीछा करते हुए
उस राह पे आकर ठहर जाता हूँ
जिस पर साथ चलने की चाहत थी तेरी
और उस चाहत को निभाने की कोसिस थी मेरी |
यूँ तो वो साथ कुछ ऐसे छूटा
जैसे ज़िंदगी से कोई नाता टूटा
सूखे पत्तों की भांति बिखर गए वो अरमान
जो कभी दिल की धड़कन की तरह एक हिस्सा हुआ करते थे |
तुझमे ऐसा खास क्या है
आज भी आसमान में टूट ते तारे तो देख कर
तेरे दिए गए दर्द को भूलकर
यही दुआ मांगता हूँ कि जहाँ भी रहे सलामत रहे|

