ओ वसंत ऋतु की वसंत लता
ओ पावस माह की सर्द घटा
मुरझाए, सूखे से इस मन की हो तुम्ही आर्द्र पता।
ओ वसंत ऋतु की वसंत लता…..
ओ शीतल विधु की रश्मिका
ओ तप्त दीपक की दीपशिखा
अंधियारे , धुंधले से इस मन की हो तुम्ही शुभ्र चंद्रिका।
ओ शीतल विधु की रश्मिका…..
ओ विधु की पूनम यामिनी
ओ मधुर संगीत की रागिनी
बेसुरे, अधूरे से इस मन की हो तुम्ही पूर्ण लयबद्ध रागिनी।
ओ विधु की पूनम यामिनी…..
ओ अनंत गगन की सतरंगिनी
ओ वसुंधरा की प्रवाहिनी
प्यासे, फीके से इस मन की
हो तुम्ही रंगीन तरंगिनी।
ओ अनंत गगन की सतरंगिनी…..
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